भारत वर्ष के अनेको पावन तीर्थों में श्री गंगा जी में स्नान , दान का बहुत महत्व है ! हिन्दू सनातन धर्म में वेदों तथा पुराणों में वर्णित विशेष पर्व में , काल में , तिथि , ग्रह तथा नक्षत्र में किसी भी पवित्र नदी, कुंड, सरोवर,संगम आदि में स्नान-दान करने से उस शुद्ध जातक अथवा साधक या कोई भी पारिवारिक गृहपति जो आपने अपने गुरु,श्री गणेश, इष्टदेव, कुलदेव तथा मातृ कुल -पितृ कुल के समस्त पितरों की मुक्ति तथा परमेश्वर के श्री चरणों में परम गति के लिए भाव-भक्ति तथा श्रद्धा पूर्वक तिलोदक अर्पित करना चाहिए, ऐसा करने वाले के पितरों को अनंत काल तक प्रभु चरणों में भक्ति-मुक्ति तथा उनकी वर-अभय मुद्रा के सुपात्र बनते हैं !आप भी अपने पितरों की शुभ गति तथा उनकी तृप्ति हेतु किसी भी गंगा जी के घाट पर स्नान कर अपने समस्त पितरों के लिए श्रीगंगा जी में अपने पितरों को तिल  मिश्रित मीठे गंगा जल डाल कर पहले सूर्यनारायण को फिर दक्षिण मुखी हो कर पुनः पितरों के लिए अर्ध्य दे  साथ में पितरों का स्मरण करते हुए श्री गंगा पुत्र भीष्म का भी स्मरण !